दो शब्‍द : संचालक की ओर से

 


दो शब्‍द : संचालक की ओर से

आप सभी अहिरवार समाज बंधुओं, सम्मानीय साथियों एवं सुधी पाठको कों ह्रदय से जय भीम, जय गुरू रविदास महाराज । इस ब्लॉग को आपके सामने प्रस्‍तुत करते हुए मुझे अत्‍यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है । अपने विशाल समाज की स्थिति को देखते हुए कई दिनों से मन में एक ललक थी कि इस समाज को ऐसा मंच प्रदान किया जाए, जिसके माध्‍यम से अहिरवार समाज के विषय में सम्‍पूर्ण विश्‍वसनीय जानकारियां एक ही स्‍थान पर उपलब्‍ध हो सके, जिससे अहिरवार बंधु हमारे इस विशाल समाज को ओर अधिक निकटता से जान-पहचान सके । इन आधारभूत सामग्रीयों के साथ-साथ अहिरवार समाज के धर्म, उसके इतिहास, परम्‍पराएँ, आन्‍दोलनरतता, संगठन क्षमता, ज्‍वलन्‍त समस्‍याएँ, उद्यमिता एवं परिश्रमशीलता, इस जाति के महापुरुष, राष्‍ट्र निर्माण में योगदान करने वाली विभूतियाँ, क्रांतिकारी एवं स्‍वतंत्रता सेनानी एवं उन्‍मुखता की भावना से ओत-प्रोत अपने अर्जित ज्ञान और अनुभव को आप जैसे सुधी पाठकों के समक्ष प्रस्‍तुत करने का प्रयास किया गया है।

इस ब्लॉग मे जो भी समाज के बारे मे जानकारियां दी जा रही है वो समाज के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवी व्‍यक्तियों द्वारा लिखी गई समाज की पुरानी व नई किताबों के माध्‍यम से प्राप्त की गई है। इस ब्लॉग को लिखते समय जाति के अंतर्गत आने वाली सम्‍पूर्ण जानकारियों को पूरी निरपेक्षता से प्रदर्शित की गई है, फिर भी भूलवश कोई ऐसा प्रसंग आ गया हो, जिससे किसी की भावना को ठेस लगी हो, तो उसके लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ । सुधी पाठको से एक और निवेदन है कि कहीं कोई असंगति नजर आए या भावार्थ स्‍पष्‍ट न हो अथवा कोई सुझाव व जानकारी देना चाहें, तो उसे अवश्‍य ध्‍यान में लाएँ, जिससे उसे सुधार कर दुरूस्‍त किया जा सके। आप हमें अपने विचार व मार्गदर्शन प्रदान करे। ताकि हम समाज के इस आधुनिक महायज्ञ को सफल बना सकें। इस ब्लॉग से सम्‍बंधि‍त सुझाव आप हमे हमारे पते पर भेज सकते है। ब्लॉग के बारे मे अपने परिचितों को अवश्य बताये ताकि समाज के बारे मे जानकारी अधिक से अधिक अहिरवार बंधुओं तक पहुच सकें।

यह कार्य एक छोटी-सी रूप रेखा बनाकर मैंने प्रारम्‍भ किया था जो बाद में बढ़ता ही चला गया। अगर इस ब्लॉग को बनाने से पहले ही मेरे मस्तिष्‍क में यह कल्‍पना उठ जाती की यह कार्य इतना बड़ा और कठिन हो जायेगा, तो शायद मैं इस कार्य को करने की हिम्‍मत ही नहीं कर पाता। इस कार्य को करने में मुझे कल्‍पना से भी ज्‍यादा सहयोग मिलता रहा और मेरी हिम्‍मत बढ़ती गई।

मैं उन लेखकों का आभारी हूँ, जिनकी पुस्‍तकों से संदर्भ सामग्री इस ब्लॉग में प्रयुक्‍त की गई है विषय की प्रमाणिकता और प्रभावोत्‍पादकता की दृष्टि से जिन विद्वानों के लेखों को सम्‍पादित रूप में समाविष्‍ट किया गया है उनके प्रति विशेष कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ ओर आशा करता हूँ कि उनका आशिर्वाद हमेशा मुझ पर बना रहेगा। वे महानुभाव जिनका मुझे प्रत्‍यक्ष एवम् अप्रत्‍यक्ष रूप से इस ब्लॉग के निर्माण में सहयोग मिला है मैं सभी सहयोगियों का आभारी हूँ व सभी को धन्‍यवाद देना चाहता हूँ जिनके प्रत्‍यक्ष, अप्रत्‍यक्ष सहयोग के कारण यह कार्य सकुशल सम्‍पन्‍न हो पाया।

अहिरवार समाज का इतिहास, संस्‍कृति, परम्‍पराए, रीति-रिवाज़ आदि सभी गौरवशाली रहे हैं। इसलिए इस ब्लॉग को बनाने में मैने यह दृष्टिकोण अवश्‍य अपनाया है कि अहिरवार समाज का इतिहास गौरवशाली बनें, ओर इससे मार्ग दर्शन लेकर यह जाति सर्वोच्‍च शिखर पर पहुँचे। प्राय: यह देखने में आता है कि अहिरवार समाज के अधिकांश लोग अपनी जाति को छिपाकर रहते हैं और रखते हैं और अगर कहीं जाति बताने का प्रश्‍न आता है तो जाति को बताने में बहुत ही दुविधा महसूस करते है और अगर बताते भी है तो, वो भी हिचकिचाहट के साथ आधी-अधुरी ही बातते है ओर वो भी टालमटोल के साथ। तब दूसरे लोग इसे आपकी कमजोरी ही समझते हैं। यह प्रवृति शिक्षित और धनी लोगों में अधिक पाई जाती है, जबकि हमारी अहिरवार समाज का इतिहास, संस्‍कृति, तर्कशीलता, बुद्धिमतता, तर्कशीलता, ईमानदारी व कर्मठता की दृष्टि से अन्‍य जातियों की तुलना में किसी भी रूप से कम नहीं है, फिर जाति को स्‍पष्‍ट रूप से बताने में लज्‍जा किस बात की, गर्व क्‍यों नहीं? मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्‍वास है कि इस ब्लॉग के अध्‍ययन करने के बाद अपनी इस हीन भावना का परित्‍याग कर देंगे ओर स्‍वयं को अहिरवार बताने में गौरव का ही अनुभव करेंगे और हमारी जाति की बेहतरी के लिए अग्रसर होकर कार्य करेंगे।

मैं अहिरवार समाज के सभी युवा साथियों से क्रांतिकारी अपील करना चाहता हूँ कि वो समाज के सर्वांगीण विकास के लिए आगे आये व समाज को संगठित कर, समाज के नये युग का सूत्रपात करें जिससे अपने समाज का भविष्‍य उज्‍जवल बन सके व आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक रूप से परिपक्‍व व आत्‍मनिर्भर बन सके।

यह कार्य मैंने पूर्ण ईमानदारी के साथ किया है। ब्लॉग में उपलब्‍ध सभी जानकारियां मेरे द्वारा स्‍वयं हिन्‍दी में टाईप की गई है। यद्यपि ब्लॉग में हर तथ्‍य को पूर्ण तथा सही टाईप करने का पूरा प्रयास किया गया है तथापि किसी भी प्रकार की मानवीय त्रुटि के लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ। जाति के प्रति निष्‍ठा का भाव पेदा करना ही मेरा प्रमुख लक्ष्‍य है। समाज का इतिहास सदैव गौरवशाली रहा है आइये, हम कदम से कदम मिलाकर अपने समाज को इक्‍कीसवीं सदी में अधिक उन्‍नतशाली, सुदृढ़, प्रेरणामयी एवं गौरवशाली महान समाज निर्मित करने के लिए एक नव विश्‍वास के साथ अपना सामाजिक योगदान प्रदान करें ताकि हमारा समाज हमेशा अग्रणी रहे।

धन्‍यवाद् …..!                                             

 

                                                                                         सुनील कुमार बामने

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