आज समाज का विकास कैसे संभव

         वर्तमान परिस्थितियों पर गोर करे, तो कुछ ऐसा लगता है कि विकास तो हो रहा है लेकिन वो एक तरफा हो रहा है ।
        
आज दलित समाज का जो युवा पढ लिखकर तैयार हो रहा है वो चाहे आई. आई. टी., इंजिनियर हो या डॉक्टर, वकील या एम.सी.ए., एम.बी.ए., बी.एड धारी या अन्य शिक्षा प्राप्त युवा, सभी सरकार की नौकरी के पीछे भाग रहे है यह एक सच्चाई है । एक तरफ पढा लिखा युवा सरकारी की नौकरी के पीछे भाग रहा है और एन कैन प्रकरण उन्हें चाहे आरक्षण हो या अन्य किसी आधार पर नौकरी मिल भी जाती है लेकिन यदि पूरे दलित समाज में से उनका प्रतिशत देखा जाये तो वह नगण्य है और दूसरी तरफ दलित समाज का एक बहुत बडा तबका जिसे सरकार की नोकरी नहीं मिली या वह किसी भी कारण से ज्यादा पढ लिख नहीं पाया, वह अपनी दैनिक समस्याओं रोटी-कपडा-मकान में उलझा हुआ है और रही सही कसर सरकारी मशीनरी में व्याप्त भष्ट्राचार ने पूरी कर दी है । आज ऐसी स्थित है कि वो अपने आपको असहाय महसूस कर रहा है, ना तो सरकार उसकी मदद कर पा रही है, ना ही उसके परिवार से बने सरकारी ऑफिसर मदद कर पा रहे है ।
जहां तक विकास की बात है विकास उन लोगों का हो रहा है जिन्हें सरकार की नौकरी या अन्य किसी जगह अच्छी नौकरी मिल गई है । वो सेटल हो गये है लेकिन पीछे वाले आज भी वही खडे है जहां कभी वो अपने आपको खडा पाता था ।
        
जहां तक समाज के विकास का प्रश्न है हमें हमारी भावी पिढीओं में एक मात्र नोकरी पाने की विचाराधारा को बदलना होगा उन्हें यह समझाना होना कि क्या आप आई आई टी इंजिनियर, डॉक्टर, वकील, एम.बी.ए., एम.सी.ए. आदि की पढ़ाई करने के बावजूद भी नौकरी करना क्यों जरूरी है ? क्या आपकी शिक्षा में इनती भी क्षमता नहीं कि आप अपना नीजी काम पेशेवर इंजिनियर डॉक्टर वकील बनकर अपनी आजीविका का मजबूत साधन तैयार कर सके ? यदि इतनी उच्च शिक्षा हासिल करने के बावजूद भी सरकार की नोकरी जरूरी है तो ऐसी शिक्षा संदेह के घेरे में आ जाती है जो केवल एक नौकरी पाने के लिए ही हासिल की गई हो, जो एक स्वार्थीपन से ज्यादा कुछ भी नहीं । यदि आप नीजी पेशेवर तरीके से कार्य करते है तो इससे समाज के उन सारे लोगों को सिधे लाभ पहुँचा सकते है जिन्हें आप देना चाहते है और अपनी सेवा और ज्ञान का सर्वोतम उपयोग कर सकते है । जिससे समाज का विकास संभव है और आप हमेशा स्वतंत्र रहेगें और समाज को एक नई दिशा दे सकते है ।
        
जहां तक हमारे दलित सरकारी ऑफिसर का प्रश्न है उन्हें यह हमेशा ध्यान रखना चाहिये यदि वो सरकारी सेवा में रहते समाज के पिछडे असहाय लोगों के लिए कुछ नहीं कर पाये और वो सोचे कि सेवानिवृत होने के बाद कुछ कर सकेगें यह उनकी बहुत बडी भूल है । क्योंकि सेवानिवृति के बाद उनका वेतन, पेंशन में बदलकर 40 प्रतिशत हो जाता है, उम्र 60 की हो जाती है, सरकारी पावर समाप्त हो जाता है लोगों के सामने उनकी प्रभावशीलता भी नाम की रह जाती है, पूरा सरकारी स्टाफ जो उनके हथियार होते है उनका साथ छोड देते है तथा शारीरिक ऊर्जा उनके जीवन के अन्तिम पडाव में आ जाती है और सरकार भी सरकार भी आखिर उनका त्याग कर देती है तो ऐसी असहाय स्थिति में वो सेवानिवृति के बाद समाज का कैसे विकास करेगें यह अपने आप में बहुत बडा प्रश्न है । वैसे यह आम धारणा है कि जो इन पॉवर समाज के लिए कुछ नहीं कर पाये वो अब क्या करेगें ?
        
हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिये कि समाज का विकास करना । हम बुद्विमान लोगों की जिम्मेवारी है । हमें सरकारी सेवा में रहते हुए सरकारी साधनों का उपयोग करते हुए वंचित व्यक्ति तक साधन पहुँचाने होगें । तभी हमारी नौकरी सार्थक रहेगी अन्यथा स्वार्थी बनकर रह जायेगी ।
        
हमे हमारे समाज के आर्थिक रूप से कमजोर प्रतिभावान बच्चों के शिक्षा सहयोग के रूप में प्रत्येक वर्ष अपनी आय में से कुछ हिस्सा जरूर देना चाहिए ताकि वो डॉक्टर इंजिनियर, वकील, ऑफिसर बनने पर भविष्य में अपनी आने वाली पीढी के लिए इस प्रकार का सहयोग देने का अनुसरण करें ओर एक सिस्टम डवलेप हो । हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि घर पैसो से चलता है, पैसा क्रय शक्ति होता है, बिना पैसे के मार्गदर्शन और ज्ञान काम नहीं आता है । यह ध्यान देने योग्य बात है कि जनता सरकार को टेक्स देना बंद कर दे तो सरकार नहीं चलेगी तथा सरकार अपने कर्मचारी को वेतन देना बंद कर दे तो कर्मचारी नौकरी नहीं करेगा और यदि घर का मुख्या घर पर पैसे देने बंद कर दे तो घर नहीं चलेगा । ठीक उसी प्रकार हम हमारे समाज को जब तक अपनी आय का कुछ हिस्सा नहीं देगें तब तक समाज के विकास की कल्पना करना बैकार है क्योंकि पूरी दुनिया अर्थतंत्र पर चलती है ।
        
समाज के बुद्विमान लोगों को समाज का विकास करने के लिए धन भी देना होगा और नेतृत्व भी करना होगा लेकिन नौकरी को आड में नेतृत्व से मुंह मोडना या धन देने की असमर्थता जाहीर करना, ऐसी स्थिति में समाज के विकास की बात करना, समाज के साथ धोखा करना, जैसा है । जहां तक नेतृत्व की बात है समाज के नेतृत्व का सर्पोट किया जाना चाहिये उसको सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए ताकि अच्छे लोग नेतृत्व करने के लिये आगे आये । यदि अच्छा ना लगे तो उन्हें बदल देना चाहिये लेकिन बुराई नहीं करनी चाहिए । क्योंकि इससे हमारे समाज का नुकसान होता है ।
        
आज ऐसी स्थिति है ऐसे व्यक्ति जिन्होनें अपने जीवन में समाज के लिए कुछ नहीं किया, और कुछ अच्छे लोग समाज के लिए अच्छा काम कर रहे है उनके विरोध में दुषप्रचार करते है और समाज और अच्छे लोगों को बदनाम करने का प्रयास करते है । ऐसे असामाजिक तत्वों को समाज द्वारा सख्त तोर पर दण्डित किया जाना चाहिये ऐसे लोगों का बहिष्कार किया जाना चाहिये ताकि समाज में अनुशासन बनाया रखा जा सके और अच्छे लोग समाज के विकास में बढ चढकर भागीदार बन सके । हमें समाज के बुद्विमान लोगों को आगे लाना होगा जो समाज को धन और ज्ञान देते हो, और उन्हें सम्मानित करना होगा जिसके वे हकदार है ।
        
यदि हम आज समाज में पैदा होकर इतने काबिल बनने के बाद, समाज को कुछ नहीं देते है तो हमारा इस समाज में पैदा होने या नहीं होने का कोई औचित्य नहीं है जबकि समाज से हमने बहुत कुछ पाया है यह हमें कभी नहीं भुलना चाहिए और हमें यह देखना चाहिये की समाज को हमने क्या दिया है ! तभी सही मायने में समाज का विकास संभव है ।



         मानव एक सामाजिक प्राणी है । प्राणीइस जगत का सर्वाधिक विकसित जीव है ओर इस समाज के बिना उसका रहना कठिन ही नहीं असंभव है । माता-पिता, भाई-बहन, रिश्‍तेदारों आदि लोगों को मिलाकर ही इस समाज की रचना होती है । समाज के बिना मानव का पूर्ण रूप से विकास होना सम्भव ही नहीं है । इसलिए मानव को हर कदम कदम पर समाज की आवश्‍यकता होती है समाज के लोगों के बीच ही हम अपने जीवन का अधिकतर समय व्‍यतित करतें है । हम जिस समाज में रहते हैं उन्‍हीं के बीच हम खाते हैं, पीते हैं, जीते हैं व रहते है हमे निस्‍वार्थ भाव से समाज के लोगों की सेवा, मदद, हित करना। इससे पूरे राष्ट्र की व्यवस्था मे सुधार किया जा सकता है । समाज सेवा के द्वारा सरकार और जनता दोनों की आर्थिक सहायता की जा सकती है । पड़ोसियों की सेवा करना भी समाज सेवा ही है । आज हमारे देश का भविष्‍य युवाओं पर निर्भर है, अतः समाज की सेवा करना हर युवा का कर्तव्य है । समाज के सेवकों का यह कर्तव्य है कि वे सच्चे दिल से समाज की सेवा करें । सच्चे हृदय से की गयी समाज सेवा ही इस देश व इस पूरे संसार व समाज का कल्याण कर सकती है ।
         जिस तरह हर व्‍यक्ति निस्‍वार्थ भाव से अपने परिवार की तन, मन, धन से समर्पित होकर पूर्ण रूप जिम्‍मेदारी/दायित्‍व उठाते हुए सेवा करता है । उसी प्रकार हर व्‍यक्ति की अपने समाज के प्रति भी जिम्‍मेदारी बनती है कि वह अपने परिवार की तरह ही अपने समाज के लिये सौच विचार करे तथा समाज के प्रति अपने कर्त्‍वयों का निर्वाह करे ओर समाज सेवा को एक जिम्‍मेदारी के साथ निभाये । हमारा परिवार भी समाज का ए‍क हिस्‍सा होता है । उसी समाज के कारण आज हमारी और हमारे परिवार की पहचान होती है । इसलिये जितनी जिम्‍मेदारी हमारी हमारे परिवार के लिये होती है उतनी ही जिम्‍मेदारीयां हमारी हमारे समाज के प्रति भी बनती है ओर इन जिम्‍मेदारीयों का परिवहन बिना किसी निस्‍वार्थ भाव के करना समाज के हर नागरिक का कर्तव्‍य है ।

         मानव होने के नाते जब तक हम एक-दूसरे के दुःख-दर्द में साथ नहीं निभाएँगे तब तक इस जीवन की सार्थकता सिद्ध नहीं होगी । वैसे तो हमारा परिवार भी समाज की ही एक इकाई है, किन्तु इतने तक ही सीमित रहने से सामाजिकता का उद्देश्य पूरा नहीं होता । हमारे जीवन का अर्थ तभी पूरा होगा जब हम समाज को ही परिवार माने । 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावना को हम जितना अधिक से अधिक विस्तार देंगे, उतनी ही समाज में सुख-शांति और समृद्धि फैलेगी । मानव होने के नाते एक-दूसरे के काम आना भी हमारा प्रथम कर्तव्य है । हमें अपने सुख के साथ-साथ दुसरे के सुख का भी ध्यान रखना चाहिए । अगर हम सहनशीलता, संयम, धैर्य, सहानुभूति, और प्रेम को आत्मसात करना चाहें तो इसके लिए हमें संकीर्ण मनोवृत्तियों को छोड़ना होगा । धन, संपत्ति और वैभव का सदुपयोग तभी है जब उसके साथ-साथ दूसरे भी इसका लाभ उठा सकें । आत्मोन्नति के लिए ईश्‍वर प्रदत्त जो गुण सदैव हमारे रहता है वह है सेवाभाव, समाज सेवा । जब तक सेवाभाव को जीवन में पर्याप्त स्थान नहीं दिया जाएगा तब तक आत्मोन्नति का मार्ग प्रशस्त नहीं हो सकता । कहा भी गया है की भलाई करने से भलाई मिलती है और बुराई करने से बुराई मिलती है.......

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