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Showing posts from June, 2016

क्रांतिकारी रैदास

किसी ने कहा है की जिस कौम का इतिहास नही होता , उस कौम का कोई भविष्य नही होता , आज दलित समाज की बात करे तो भगवान बुद्ध के बाद दलित आंदोलन के अग्रदूत गुरू रविदास हुए है ।          गुरू रविदास का जन्म माघ सुदी 15 विक्रम संवत् 1460 मे मंडुआ डीह नामक एक गाँव मे रघुराम जी के घर हुआ इनकी माता का नाम करमा देवी था , उनका विवाह लोना देवी से साथ हुआ ।          रैदासजी प्रारम्भ से ही क्रांतिकारी विचारधारा के थे उन्होने ब्राह्मणों के चारों वेदो का खण्डन किया तथा उन्हे व्यर्थ कि किताबें बताया साथ ही गुरू कबीर ने इन्ही वेदो को अधर्म के वेद बताया । उन्होने ब्राह्मण धर्म के सभी रीति-रिवाजों यज्ञ , श्राद्ध , मंदिरों मे पूजा पाठ , आदि हर ब्राह्मणी कर्मकाण्‍ड का तर्क के साथ खण्डन किया । उन्होने दलित समाज को चेताया की केवल दलित समाज के लोग ही असल मे भारत के शासक रहे है , सिन्धु सभ्यता अर्थात् दलित सभ्यता से लेकर मोर्य काल तक भारत पर केवल और केवल दलितों का शासन ही रहा है ।          उ...

20 वीं शताब्दी मे दलित आंदोलन के परिणाम

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सुनील कुमार बामने 19 वीं शताब्दी के प्रारम्‍भ में दलित आंदोलन कि शुरूआत हिन्दुओ के भीतर ही हुई , जिसमे छुआछुत , मंदिरो मे जाना आदि समस्याओ के निराकरण स्वरूप इसका प्रारम्भ हुआ ।          20 वीं शताब्दी के प्रारम्भ मे दलित आंदोलन कि शुरूआत महाराष्ट्र मे हुई जिसमे विधान मंडल मे हिस्सेदारी , पृथक निर्वाचन योजनाओ मे हिस्से की मांग की गई । इसी दौरान एक युवा बेरिस्टर डॉ. भीमराव अम्बेडकर का उदय हुआ , जिन्होने अंग्रेजी सरकार के सामने दलितों की समस्याओ को प्रमुखता से रखा , नतीजा अंग्रेजो द्वारा साम्प्रदायक पंचाट के द्वारा दलितों को पृथक निर्वाचन तथा दो वोट का अधिकार प्रदान किया गया , नतीजा गॉधीजी ने खुलकर इसका विरोध किया और पूना की जेल मे इसके विरूद्ध अनशन किया , जिसका प्रभाव डॉ अम्बेडकर को मजबूरन पूना पेक्ट समझौता करना पडा , जिसके तहत साम्प्रदायिक पंचाट के द्वारा दलितों को मिले अधिकार से हाथ धोना पड़ा और आरक्षण कि व्यवस्था की गई । यह आरक्षण स्वर्णो व दलितों के बीच हुऐ पूना पेक्ट समझौते का परिणाम था । डॉ अम्बेडकर के प्रयासो के कारण आजादी की लड़ाई के द...

आरक्षण की सुरक्षा एक चुनौती

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  सुनील कुमार बामने       आरक्षण क्या है , क्या यह केवल एक वर्ग विशेष का दिया जाने वाला फायदा है या उनके उत्थान के लिए अपनाये जाने वाला साधन । आज हमारे लोकतंत्र मे वोट हासिल करने के लिए अपनाया जाने वाला एक हथियार बन गया है ।        जबकि वास्तव मे आरक्षण क्या है । डॉ. अम्बेडकर के अनुसार ‘‘ आरक्षण हमारे लोकतंत्र मे लोगो को दिया जाने वाला प्रतिनिधित्व का अधिकार है । ’’ यदि कोई उच्च वर्ग का व्यक्ति हमारा प्रतिनिधित्व करता है तो इस बात कि क्या गारन्टी है कि वो ईमानदार होगा , मान लीजिए कि वो ईमानदार होगा तो भी यह कैसे कहा जा सकता है कि वो हमारा प्रतिनिधि है , क्योकि प्रतिनिधित्व ही लोकतंत्र है जो आज हमारे सांसद है । इसलिए कहा जा सकता है कि जो लोग प्रतिनिधित्व का विरोध करते है वे लोकतंत्र के विरोधी है अर्थात् आज जो लोग आरक्षण का विरोद्ध करते है वो इस लोकतान्त्रिक देश के विरोधी है , ऐसे लोगो को लोकतंत्रवादी नही कहा जा सकता है । इसलिए डॉ. अम्बेडकर ने कहा की आरक्षण भीख नही है यह हमारा अधिकार है ।        आरक्षण...

संविधान सभा मे आरक्षण पर डॉ. अम्बेडकर का जबाब

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  सुनील कुमार बामने       आज हम बात कर रहे है , भारतीय प्रारूप संविधान कि धारा 10 है , जिसमें कि अनुसूचित जाति , जनजाति को नौकरियो में आरक्षण का प्रावधान है ।        आरक्षण की इस लडाई में जब भारत के संविधान का निर्माण हो रहा था , तब सभा में एक वोट की कमी से आरक्षण प्रस्ताव पारित नही हो सका , तब डां. अम्बेडकर के सामने एक गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई कि , अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति को आरक्षण कैसे दिया जाए । इस कानूनी लडाई को जीतने के लिए उन्होने नये ढंग से इसकी शुरूआत की ।        इसके लिए उन्होने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति शब्द के स्थान पर पिछडा वर्ग शब्द का उपयोग किया , जिसका अनेक सदस्‍यों ने विरोध किया । इस आरक्षण का प्रावधान करने में कई उपसमितिया बनाई गई , जिसमें एक सलाहकार समिति भी थी ।        संविधान सभा में आरक्षण पर बहस में शामिल होते हुए प्रोफेसर के.टी. शाह ने कहा की नौकरिया में यदि आरक्षण नही होगा , तो भर्ती करने वाले अफसर अपने इच्छानुसार पक्षपात करेगा...

भारत मे ही आरक्षण क्यों

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सुनील कुमार बामने      बात ’’ इण्डिया दैट इज भारत ’’ की करे तो आरक्षण को नजर अन्दाज नही किया जा सकता । प्रश्न यह उठता है कि आरक्षण व्यवस्था इण्डिया मे ही क्यो है । इसी प्रश्न के साथ एक प्रश्न और भी खड़ा होता है , यह कि भारत मे जाति व्यवस्था क्यो है । यदि आरक्षण व्यवस्था के प्रश्न का उत्तर ढूंढा जाये तो कही न कही भारत की जाति व्यवस्था मे विधमान है ।        यह जाति व्यवस्था ही भारत देश मे किसी को ऊँचा , किसी को नीचा बनाती है । जिसकी वजह से एक वर्ग जो अपने आप को उच्च समझता है साधन सम्पन्न है जबकि दूसरा वर्ग जिसे नीचा समझा जाता है वो साधनविहिन , शोषित , पिछड़ा हुआ है जो इस देश की जाति व्यवस्था की उपज है । जब सभी व्यक्ति सारी दुनिया मे समान रूप से पैदा होते है और समान रूप से मरते है तो भारत मे व्यक्ति जन्म से ऊँचा-नीचा कैसे हो सकता है । अर्थात भारत मे आरक्षण व्यवस्था की उत्पति का मूल कारण भारत की जाति व्यवस्था है ।        जब ब्राह्यणो द्वारा शूद्रो का निरन्तर शोषण किया जाता था और उनके साथ कुत्‍ते , बिल्लियो जैसा...