क्रांतिकारी रैदास
किसी ने कहा है की जिस कौम का इतिहास नही होता , उस कौम का कोई भविष्य नही होता , आज दलित समाज की बात करे तो भगवान बुद्ध के बाद दलित आंदोलन के अग्रदूत गुरू रविदास हुए है । गुरू रविदास का जन्म माघ सुदी 15 विक्रम संवत् 1460 मे मंडुआ डीह नामक एक गाँव मे रघुराम जी के घर हुआ इनकी माता का नाम करमा देवी था , उनका विवाह लोना देवी से साथ हुआ । रैदासजी प्रारम्भ से ही क्रांतिकारी विचारधारा के थे उन्होने ब्राह्मणों के चारों वेदो का खण्डन किया तथा उन्हे व्यर्थ कि किताबें बताया साथ ही गुरू कबीर ने इन्ही वेदो को अधर्म के वेद बताया । उन्होने ब्राह्मण धर्म के सभी रीति-रिवाजों यज्ञ , श्राद्ध , मंदिरों मे पूजा पाठ , आदि हर ब्राह्मणी कर्मकाण्ड का तर्क के साथ खण्डन किया । उन्होने दलित समाज को चेताया की केवल दलित समाज के लोग ही असल मे भारत के शासक रहे है , सिन्धु सभ्यता अर्थात् दलित सभ्यता से लेकर मोर्य काल तक भारत पर केवल और केवल दलितों का शासन ही रहा है । उ...