नशे को शत-प्रतिशत प्रतिबंधित करे

                                     
सुनील कुमार बामने
 
पहले आदमी शराब पीता है, फिर शराब, शराब को पीती है और अंत में शराब आदमी को निगलने लग जाती है। आज गाँवों, शहरों में उत्सव, शादी-ब्याह, जन्‌म-मरणोपरांत के समारोहों में सुपारी, पान-मसाला,बीड़ी,सिगरेट,अफीम और रियाण सभी तरह के नशेड़ी तामझामो की व्यवस्था करना जरूरी है । अमीरोँ के लिए यह परंपरा शान है किंतु गरीबोँ की कमर तोड़ने का सामान है । आज ऐसा लगता है कि नशा आदमी, परिवार और जाति समाज को सुरसा की भाँति निगलने को उतारु है । सरकार को नशीली चीजों से भारी मात्रा मे कर मिलता है इसलिए वह नशे के कारण गिरते नैतिक मूल्यो और चौतरफा दूषित वातावरण को देखकर भी मौन है । ऐसे में बीमारी रहित आदमियो की पीढ़ी तैयार करना समाज का आवश्यक कार्य बन गया है । समाजहित संकल्प लेकर सब एक आवाज पुरजोर उठाए तथा अहिरवार समाज मे सभी तरह का नशा प्रतिबंधित कर दिया जाये । इतिहास गवाह है कि नशे से शरीर और समाज की आत्मा खोखली हुई है । नशे से लोगों की सेहत का मिजाज बदलता है । सुपारी, गुटखा, तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट आदि नशीली चीजों के निरंतर सेवन से कैंसर का खतरा बढ़ता है । शराब की लत से लीवर की बीमारियों में बढ़ोतरी होती है । ऐसे लोगों की तबीयत कमजोर हो जाती है । नशा गरीबोँ को बदहाली और हिकारत की और धकेलता है । नशा बच्चो की पढ़ाई, परिवार की दवाई, आदमी की सेहत और समाज की भलाई मे प्रमुख अवरोध बनकर खड़ा है । जो पैसा परिवार समाज का विकास कर सकता है वही नशे के विनाश की भेंट चढ़ जाता है । नशे को नाश की जड़ जानकर अहिरवार समाज जीवन में नशा छोड़ने का संकल्प ले । समाजहित में दूरगामी सोच का परिचय देकर अहिरवार समाज संघ भी इस ओर महत्वपूर्ण कदम उठाए । सभी सामाजिक अवसरों पर सब प्रकार के नशोँ पर शत-प्रतिशत प्रतिबँध लगा दिया जावे । इससे सुंदर,खुशहाल अहिरवार समाज के नव- निर्माण का सपना सच होगा । समाज विकास की ओर अग्रसर होगा ।

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