समाज का राजनैतिक प्रतिनिधित्व कैसे बढे.
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संजेश गोलिया |
अब प्रश्न उठता है कि यह कैसे सम्भव हो ? इच्छा तो सभी
करते हैं, लेकिन इसके लिए
कोई ठोस प्रयास नही करता । तो फिर क्या करे, हमे इसके लिये प्रत्येक ग्राम, तहसील, जिला स्तर पर
लोगों मे राजनीतिक चेतना का अलख जगाना होगा और उन्हें समझना होगा कि, पिछले 66 वर्षों से हम
वोट देते आ रहे हैं । हमे क्या मिला और क्या हमे मिलना चाहिये था । जबकि वोट तो वह
ताकत है जो एक साधारण आदमी को राजा बना देता है ओर राजा को साधारण आदमी ! आजादी से
पूर्व राजा मॉ के पेट से पैदा होता था, लेकिन आज इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन से पैदा
होता है । हमे इसे गम्भीरता से समझना होगा ।
जब बात इतनी साधारण है तो, हम सफल क्यो नही
हो रहे हैं । आज समाज का राजनैतिक प्रतिनिधित्व बढाना है तो, वह बड़े-बडे़
सम्मेलनों से नही बढेगा । उसे बढ़ाने के लिये जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है ।
हर बार चुनाव का मौसम आता है, बहुत से पढ़े-लिखे चुनावी मोसम मे नेता बन जाते
है, और राष्ट्रीय
राजनैतिक पार्टीयों से टिकट मांगने की लाईन मे खड़े हो जाते है और उम्मीद करते है
कि टिकट उन्हे ही मिलेगा । जबकि प्रश्न यह उठता है कि टिकट उन्हे क्यो मिले । क्योंकि
जो कार्यकर्ता राजनैतिक पार्टी का काम पिछले 15-20 वर्षों से कर रहा है, जो छोटा-मोटा
पार्टी का पदाधिकारी रहा है । घर-घर जाकर मतदाता को लेकर पोलिंग बूथ तक पहॅूचाता
है । पार्टी को वोट दिलाता है इसी उम्मीद मे काम करता है कि, मेरा भी कभी
प्रमोशन होगा और मै भी पार्षद, प्रधान, सरपंच, विधायक, सांसद, बनुगॉ । ऐसी स्थिति मे यह कल के मौसमी नेता
उनके आगे कहा टिकते है । यह वह भी अच्छी तरह जानते है और पार्टी भी । लेकिन वह
अपनी शैक्षिक योग्यता व सरकारी पद की दुहाई देता है जिसे वह त्याग चुका है । वह
भूल जाता है कि राजनिति मे शैक्षिक योग्यता नही होती है । राजनिति मे योग्यता का
एकमात्र माध्यम है, आपकी राजनिति मे
सक्रियता । आप कितने सक्रिय है, जनसाधारण मे कितने आपके वोट है । यही आपकी
राजनैतिक योग्यता तय करता है । प्रथम तो पार्टी ऐसे मोसमी नेताओं को टिकट देती नही
है, यदि ऐसे लोग
टिकट पाकर उम्मीदवार बन भी जाये तो, जो कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर काम करता है, वह ऐसे व्यक्ति
को जीताता नही है, क्योकि उसका
एकमात्र प्रश्न है कि अगर ऐसे व्यक्ति टिकट लाकर जीत जायेगे, तो हम क्या यहॉ 15-20 वर्षो से
सक्रिय कार्यकर्ता के रूप मे काम करने वाले मूर्ख थोड़े ही है ।
अब प्रश्न यह उठता है कि, समाज का राजनैतिक प्रतिनिधित्व कैसे बढ़े...?
प्रथम तो, हमें समाज का राजनैतिक प्रतिनिधित्व बढाने के
लिए जमीनी स्तर पर राजनैतिक पार्टी के कार्यकर्ता पैदा करने होगे । इसके लिए समाज
के बुद्विजीवी लोगों द्वारा समाज को बड़े पैमाने पर संदेश दिया जाना चाहिये कि, समाज के
प्रत्येक घर से कम से कम एक व्यक्ति, जो सरकारी कि नोकरी नही करते हो, किसी न किसी
राष्ट्रीय राजनैतिक पार्टी का सक्रिय कार्यकर्ता बनना चाहिये ।
जैसे-जैसे राजनैतिक पार्टी मे समाज के सक्रिय
कार्यकर्ताओं की संख्या बढेगी वैसे-वैसे समाज का राजनैतिक प्रतिनिधित्व बढता
जायेगा । यह एकमात्र सीधा सरल और मजबूत रास्ता है, जिसका कोई तोड़ नही है । पार्टी मे समाज कि
सक्रियता ज्यादा होगी, नतीजा वो पार्टी
पदाधिकारी बनेंगे, जो टिकटों का
बटवारा करते है और समाज के पार्षद बढेगे़ - पार्षद बढे़गे तो चेयरमेन
बनेगा-चेयरमेन होगा-तो विधायक भी बनेगा -विधायक होगा तो सांसद भी बनेगा, सांसद होगा, तो मिनिस्टर भी
बनेगा ।
द्वितीय समाज का राजनैतिक प्रतिनिधित्व बढाने
के लिये समाज के वोट बैंक को सगंठित करने के लिए समाज के प्रत्येक वोटर को समझना
जरूरी है कि, जब तक समाज का
वोट पार्टियों और पॉलिटिक्स मे बिखरा रहेगा, तब तक, समाज के वोट का मोल-भाव कुछ नही होगा । जब किसी
चीज का मोल-भाव नही है अर्थात् शून्य है । इसके लिए हमे जमीनी स्तर पर निर्वाचन
क्षेत्रानुसार वोट को संगठित कर एक ही पार्टी को देना होगा । हमे अपने वोट की किमत
पैदा करनी होगी और किमत केवल वोट को संगठित करके ही पैदा की जा सकती है । जिसकी
शुरूआत सर्वप्रथम घर से करनी होगी, फिर गली, मोहल्ला, गांव, तहसील, जिलास्तर पर संगठित करना होगा । जिससे समाज का
राजनैतिक आधार मजबूत होगा और राजनैतिक पार्टी ऐसे समाज पर पेनी नजर रखती है और
उन्हे हाथों-हाथ लेगी । जिससे हमारा राजनैतिक प्रतिनिधित्व बढे़गा । हमे यह काम स्वयं
करना होगा जबकि कोई भी राजनैतिक पार्टी नही चाहती है कि इस तरह समाज संगठित हो ।
वो चाहती है कि, समाज का वोट
बैंक बिखरा हुआ रहे । हम वोट लेते रहे और राज करते रहे । क्योकि लोकतंत्र की यह
सच्चाई है कि वोट चाहे प्रधानमन्त्री का हो या झोपड़ी मे रहने वाले किसी गरीब आदमी
का । इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन मे एक ही भाव से पड़ता है और यह ध्यान रहे कि नेता
या राजनैतिक पार्टी देश की सर्वोच्च शक्ति है, जो केवल वोट से डरती है क्योकि वोट ही उनके
अस्तित्व को बनाता है और मिटाता है । यह वोट की ताकत है । इसे समझे और सदुपयोग करे
।
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