समाज क्या है

समाज की उत्‍पत्ति :

      आदिकाल का मानव ही हमारे समाज का जन्‍मदाता है । समाज शब्‍द 'सभ्‍य मानव जगत' का सूक्ष्‍म स्‍वरूप एवं सार है । सभ्‍य का प्रथम अक्षर '' मानव का प्रथम अक्षर 'मा' जगत का प्रथम अक्षर '' इन तीनों प्रथम अक्षरों के सम्मिश्रण से समाज शब्‍द की उत्‍पत्ति हुई, जो सभ्‍य मानव जगत का प्रतिनिधित्‍व एवं प्रतीकात्‍मक शब्‍द है ।

समाज की संज्ञा :

      एक से अनेक व्‍यक्तियों के समूह को परिवार तथा एक परिवार से अनेक परिवारों के समूह प्रतिनिधित्‍व को समाज की संज्ञा दी गई है ।

समाज का निर्माता :

       बन्‍धु ही समाज का सच्‍चा निर्माता, सतम्‍भ एवं अभिन्‍न अंग है । बन्‍धु, समाज का सूक्ष्‍म स्‍वरूप और समाज, बन्‍धु का विशाल स्‍वरूप है । अत: बन्‍धु और समाज एक-दूसरे के पूरक तथा विशेष महात्‍वाकांक्षी है ।


सुनील कुमार बामने

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