आरक्षण की सुरक्षा एक चुनौती

 
सुनील कुमार बामने
     
आरक्षण क्या है, क्या यह केवल एक वर्ग विशेष का दिया जाने वाला फायदा है या उनके उत्थान के लिए अपनाये जाने वाला साधन । आज हमारे लोकतंत्र मे वोट हासिल करने के लिए अपनाया जाने वाला एक हथियार बन गया है ।
      
जबकि वास्तव मे आरक्षण क्या है । डॉ. अम्बेडकर के अनुसार ‘‘आरक्षण हमारे लोकतंत्र मे लोगो को दिया जाने वाला प्रतिनिधित्व का अधिकार है ।’’ यदि कोई उच्च वर्ग का व्यक्ति हमारा प्रतिनिधित्व करता है तो इस बात कि क्या गारन्टी है कि वो ईमानदार होगा, मान लीजिए कि वो ईमानदार होगा तो भी यह कैसे कहा जा सकता है कि वो हमारा प्रतिनिधि है, क्योकि प्रतिनिधित्व ही लोकतंत्र है जो आज हमारे सांसद है । इसलिए कहा जा सकता है कि जो लोग प्रतिनिधित्व का विरोध करते है वे लोकतंत्र के विरोधी है अर्थात् आज जो लोग आरक्षण का विरोद्ध करते है वो इस लोकतान्त्रिक देश के विरोधी है, ऐसे लोगो को लोकतंत्रवादी नही कहा जा सकता है । इसलिए डॉ. अम्बेडकर ने कहा की आरक्षण भीख नही है यह हमारा अधिकार है ।
      
आरक्षण की सुरक्षा की बात करे तो बड़ी विकट स्थिति नजर आती है जिसमे कही न कही मायूसी है क्योकि आरक्षण की सुरक्षा के लिए हमे जो हथियार चाहिये; वो आज हमारे पास नजर नही आ रहे है, और ना ही इस बात की सम्भावना नजर आ रही है कि भविष्य मे हम इसका किस आधार पर सामना करेगें, यहा युद्ध मैदान मे नही लड़ा जाकर, कोर्ट मे लड़ा जाना है । जहा हमारे सैनिक दलित आदिवासी समाज के होने चाहिये क्योकि पराये लोगो के भरोसे युद्ध नही जीते जाते, युद्ध मे सैनिक और हथियार हमारे कानूनविद् होने चाहिये, तभी जीत सम्भव है । आज जिस तरह से न्यायपालिका द्वारा संसद विधानसभा मे बनाये गये कानूनों पर अंड़गा लगाया जा रहा है । इससे तो स्थिति और भी गम्भीर हो गयी है, जिस पर हमने समय रहते ध्यान नही दिया तो आरक्षण एक दिन केवल कागजो मे रह जायेगा ।
      
इसकी सुरक्षा के लिए हमे लड़ना होगा और इसके लिए हमे हमारे लोगो को जागरूक करने के साथ-साथ उन्हे कानून के विद्धान बनाना होगा, क्योकि आज ऐसी स्थिति आ गयी है जो भी कानून, दलित-आदिवासी-पिछड़े लोगो के लिए बनाये जा रहे है उन्हे सरकार द्वारा लागू करने से पहले मनुवादियो द्वारा न्यायपालिका के माध्यम हाइजेक करवा दिया जाता है और आज आरक्षण के साथ भी यही हो रहा है ।
      
आज हम इतिहास पर नजर डाले तो हम पायेगे कि हमारे नेता चाहे वो गांधी जी कांग्रेस के पितामह, डॉ. अम्बेडकर प्रथम कानून मंत्री, नेहरू जी प्रथम प्रधानमंत्री, सरदार पटेल प्रथम गृहमंत्री, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद प्रथम राष्ट्रपति हो, वे सभी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने मे सफल हुए और देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद कराया । इसके पीछे मूल कारण है कि उनकी कानून की डिग्रीयॉ और ज्ञान, यह सभी बेरिस्टर पेशे से वकील थे । मोहम्मद अली जिन्ना मुस्लिम लीग के अध्यक्ष की बात करे तो वो भी अपने मकसद मे कामयाब हुऐ इसके पिछे मूल कारण उनकी बेरिस्टर की डिग्री थी । बात यह नही है की उन्होने पाकिस्तान बनाकर गलत किया या अच्छा । मूल बात है अपने अच्छे बुरे लक्ष्यो को हासिल करना ।
      
आज हम जिस आरक्षण के लिए लड़ रहे है वो भी कितने बड़े संघर्ष के बाद डॉ. अम्बेडकर हमे दिला पाये । इसके पिछे भी मूल कारण उनकी बेरिस्टर की डिग्री है ।
      
केवल बात भारत की नही है यदि दुनिया पर नजर डाले तो पायेगे कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा, और मिशेल ओबामा दोनो पेशे से वकील है तथा उनके पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और हिलेरी क्लिंटन दोनो भी पेशे से वकील है । वर्तमान मे हमारे देश कि बात करे तो हम देखते है की भारत सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री, संकटमोचक प्रणव मुखर्जी वित्‍त मंत्री भी पेशे से वकील है, इनके बाद सरकार के पीछे नीतिनिर्धारण करने वाले अभिषेक मनु सिंघवी संसद की स्थायी समिति के चेयरमेन, पी. चिदम्बरम गृहमंत्री, कपिल सिब्बल संचार मंत्री सभी कानून के बड़े विद्धान और सुप्रीम कोर्ट के वकील है इनकी ताकत पर गौर करे तो इनकी ताकत इनकी कानून की डिग्री है, और बार-बार सरकार की नाक मे दम करने वाले इकलोते व्यक्ति डॉ. सुब्रमणयम् स्वामी वो भी पेशे से वकील है । यदि बात भारतीय जनता पार्टी की करे तो हम पायेगे की लोकसभा मे सदन की नेता सुषमा स्वराज और राज्य सभा मे सदन का नेता अरूण जेटली दोनो ही सुप्रीम कोर्ट वकील है इसके अतिरिक्त पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद, राम जेठमलानी, यह सभी बड़े ताकतवर नेता है जबकि देखा जाये तो इनकी ताकत के मुकाबले इनका जनाधार बहुत कम है । इनकी मूल ताकत इनकी कानून की डिग्री और वकालत का पेशा है जो इन्हे ताकतवर बनाता है । देश मे और कई नाम है जो आज कानून की डिग्री हासिल करने के बाद देश पर राज कर रहे है जिसमे बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी भी शामिल है ।
      
बड़ी-बड़ी राजनेतिक पार्टियो कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी ने बड़े-बड़े वकीलो को अपनी पार्टीया चलाने के लिए मुहमागे पद दे रखे है । हमे यह कभी नही भूलना चाहीये की राज, तानाशाही, झूठ फरेब से हासिल किया जा सकता है लेकिन इसे चलाना कानून के द्वारा ही पड़ता है । हमारा आरक्षण भी हमे कानून के द्वारा डॉ. अम्बेडकर ने दिया है ।
      
अब प्रश्न उठता है कि इसकी सुरक्षा कैसे करे इसके लिए हम पराये लोगो पर भरोसा नही कर सकते, हमे अपनी मदद खुद करनी होगी और अपने बलबूते पर लड़ना होगा इसके लिये हमे अपने कानूनविदो की फोज तैयार करनी होगी । इस काम के लिए हमे अपने बच्चो को डॉक्टर, इन्जिनियर, आई. ए़. एस., आर. ए. एस. नही बनाकर कानून के विद्धान, वकील, मजिस्ट्रेट, जज बनाना होगा क्योकि कानून से लड़ने के लिए कानून के विद्धान चाहिये चूंकि लोहा ही लोहे को काटता है ।
      
यदि हमने वर्तमान परिस्थितियो को देखते हुए तुरन्त प्रभाव से अपनी भावी पीढ़ी मे कानून की शिक्षा पर ध्यान नही दिया तो वो दिन दूर जब यह उच्च वर्ग हमारा आरक्षण समाप्त कर देगा और हम हाथ मलते रह जायेगे क्योकि आज भी उच्च न्यायपालिका मे हमारे लोगो का प्रतिशत 1 प्रतिशत के आस-पास ही है,जो की नही के बराबर है । यदि कोर्ट मे देखा जाये तो दलित आदिवासी वकीलो का प्रतिशत 10 प्रतिशत से कम है जबकि कोर्ट मे सबसे ज्यादा मुकदमे लगभग 90 प्रतिशत दलित आदिवासी लोगो के ही है । यह एक गंभीर प्रश्न है ।
      
आज दलित आदिवासी समाज मे डॉक्टर इन्जिनियर के मुकाबले वकीलो का अनुपात 20 और 1 है । ऐसी स्थिति मे हमारी सुरक्षा कैसे सम्भव है इसके लिए हमे हमारे इतिहास से सीखना चाहिये । किसी ने कहा है कि यदि किसी को गुलाम बनाना हो तो उसका इतिहास मिटा दो, वो आज नही तो कल गुलाम बन जायेगा ।



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